( श्रील भक्तिविनोद ठाकुर जी द्वारा रचित)
भक्तिविनोद ठाकुर ब्रह्म मध्व गौड़ीय संप्रदाय के महान आचार्य तथा एक महान कृष्ण भक्त थे । उन्होंने भगवान कृष्ण और उनके भक्तों की प्रसन्नता के लिए अनेक वैष्णव भजन लिखे।
जय राधा माधव भजन बहुत की प्रसिद्ध भजन है तथा वैष्णवों का प्रिय भजन है भक्त बड़े प्रेम पूर्वक इस भजन का गान करते हैं ।
इस भजन को सामन्यतया भक्तगणों द्वारा दो प्रकार से गाया जाता है। हम आपके समक्ष दोनों ही प्रकार प्रस्तुत कर रहे हैं , आपको जैसे ठीक लगे आप वैसे गा सकते हैं।
(जय राधा माधव - 1) (जय ) राधा माधव (जय) कुंजबिहारी। (जय )गोपी जन वल्लभ (जय) गिरिवरधारी।। (जय ) यशोदा नन्दन (जय) ब्रजरंजन। (जय ) यमुनातीर वनचारी।।
(जय राधा माधव - 2) जय राधा माधव कुंजबिहारी। जय गोपी जन वल्लभ गिरिवरधारी।। यशोदा नन्दन ब्रजरंजन। यमुनातीर वनचारी।।
अर्थ (Meaning):
वृन्दावन की कुंजो में क्रीड़ा करने वाले राधामधाव की जय। कृष्ण गोपियों के प्रियतम हैं तथा गोवर्धन गिरि को धारण करने वाले हैं।कृष्ण यशोदा के पुत्र तथा समस्त ब्रजवासियों के प्रिय हैं और वे यमुना तट पर स्थित वनों में विचरण करते हैं।
(हरे कृष्ण महामंत्र ) हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।।