नाम संकीर्तन नामक भजन श्रीपाद नरोत्तम दास ठाकुर जी द्वारा रचित हैं। नरोत्तम दास ठाकुर जी का यह भजन बहुत ही प्रसिद्ध हैं तथा भक्तगण बड़े ही उल्लास और आनंद के साथ इसका गान करते हैं ।। इस्कॉन मे यह लोकप्रिय भजनों में से एक हैं ।
हरि हराये नमः
(1)
हरि हराये नमः कृष्ण यादवाय नमः
यादवाय माधवाय केशवाय नमः।।
(2)
गोपाल गोविंद राम श्री मधुसूदन।
गिरिधारी गोपीनाथ मदनमोहन।।
(3)
श्री चैतन्य-नित्यानंद श्री अद्वैत-सीता।
हरि गुरु वैष्णव भागवत गीता।।
(4)
श्री-रूप सनातन भट्ट रघुनाथ ।
श्री जीव गोपाल-भट्ट दास रघुनाथ।।
(5)
एइ छाय् गोसाईर् कोरि चरण वंदन्।
जहां होइतॆ विघ्न-नाश अभीष्ट-पुरण ।।
(6)
एइ छह गोसाईर जार मुइ तार दास।
ता सबार पद-रेणु मोर पंच-ग्रास।।
(7)
तादेर चरण-सेवी-भक्त-सनॆ वास।
जनमॆ जनमॆ होय् एइ अभिलाष ।।
(8)
एइ छइ गोसाइ जबॆ ब्रजॆ कॊइला बास्।
राधा-कृष्ण-नित्य-लीला कॊरिला प्रकाश ।।
(9)
आनंदे बोलो हरि भज वृन्दावन।
श्री-गुरु-वैष्णव-पदे मजाइया मन ।।
(10)
श्री-गुरु-वैष्णव-पाद-पद्म कोरि आश।
नाम-संकीर्तन कहॆ नरोत्तम दास।।
हरि हराये नमः हिंदी में – अर्थ के साथ
हरि हराये नमः कृष्ण यादवाय नमः यादवाय माधवाय केशवाय नमः।।
हे भगवान हरि , हे श्री कृष्ण, मैं आपको नमन करता हूं। आप यादव , हरि , माधव तथा केशव नामो से जानें जाते हैं।
गोपाल गोविंद राम श्री मधुसूदन। गिरिधारी गोपीनाथ मदनमोहन।।
ही गोपाल ,गोविंद,राम, श्री मधुसूदन, गिरिधारी,गोपीनाथ ,मदनमोहन।
श्री चैतन्य-नित्यानंद श्री अद्वैत-सीता। हरि गुरु वैष्णव भागवत गीता।।
श्री चैतन्य और नित्यानंद की जय हो। श्री अद्वैत आचार्य तथा उनकी भार्या श्रीमती सीता ठाकुरानी की जय हो। भगवान श्री हरि ,गुरु, वैष्णव जन, श्रीमद्भागवत तथा श्रीमद्भगवद्गीता की जय हो।
श्री-रूप सनातन भट्ट रघुनाथ । श्री जीव गोपाल-भट्ट दास रघुनाथ।।
श्री रूप गोस्वामी, सनातन गोस्वामी, रघुनाथ भट्ट गोस्वामी, श्री जीव गोस्वामी ,गोपाल भट्ट गोस्वामी और रघुनाथ दास गोस्वामी की जय हो।
एइ छाय् गोसाईर् कोरि चरण वंदन्। जहां होइतॆ विघ्न-नाश अभीष्ट-पुरण ।।
मैं इन छह गोस्वामियों के चरणों का वंदन करता हूं।उनका वंदन करने से भक्ति के विघ्नो का नाश होता हैं तथा अभीष्ट इच्छा पूर्ण होती हैं।
एइ छह गोसाईर जार मुइ तार दास। ता सबार पद-रेणु मोर पंच-ग्रास।।
मैं इन छह गोस्वामियों के सेवक का सेवक हूं। उन सबके चरणों की धूल मेरा पंच ग्रास हैं।
तादेर चरण-सेवी-भक्त-सनॆ वास। जनमॆ जनमॆ होय् एइ अभिलाष ।।
मेरी यही अभिलाषा हैं कि मैं इन छह गोस्वामियों के चरणों की सेवा करने वाले भक्तो के संग जन्म जन्मांतर वास करू।
एइ छइ गोसाइ जबॆ ब्रजॆ कॊइला बास्। राधा-कृष्ण-नित्य-लीला कॊरिला प्रकाश ।।
इन छह गोस्वामियों ने जब ब्रज में वास किया था,तो इन्होने राधा कृष्ण की नित्य लीला का प्रकाश किया था।
आनंदे बोलो हरि भज वृन्दावन। श्री-गुरु-वैष्णव-पदे मजाइया मन ।।
अपने मन को श्री गुरु और वैष्णव के दिव्य चरणों के ध्यान में लगाकर आनंदपूर्वक हरि के नामो का उच्चारण करो,तथा वृन्दावन का भजन करो ।
श्री-गुरु-वैष्णव-पाद-पद्म कोरि आश। नाम-संकीर्तन कहॆ नरोत्तम दास।।
श्री गुरु और वैष्णवो के चरणों की आशा करता हुआ , नरोत्तम दास हरिनाम संकीर्तन करता हैं।
Hare Krishna,
Dhanyawaad for this vaisnav song.☺🙂🤗
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Hari bol 👏