” जय जय जगन्नाथ शचीर नंदन ” नामक ये वैष्णव भजन वासुदेव घोष द्वारा लिखा गया हैं तथा उनका यह भजन वैष्णवो के बीच बहुत प्रसिद्ध एवम लोकप्रिय हैं। वे इस भजन के अंदर श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाओं एवम रूप का वर्णन कर रहे हैं ।
वासुदेव घोष श्री श्री निताई-गौरांग ( नित्यानंद प्रभु और चैतन्य महाप्रभु ) के बहुत घनिष्ट सहयोगी थे। वासुदेव घोष ने बंगाल में भक्ति का प्रचार करने के लिये अनेक वैष्णव भजन लिखे । उन्होंने भगवान गौरांग के बारे में कई गीत लिखे जो आज भी भक्तों द्वारा गाए जाते हैं ऐसा ही भजन हम आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं ।
जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन
(1)
जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन।
त्रिभूवने करे जार चरण वन्दन।।
(2)
निलाचले शंख-चक्र-गदा-पद्म-धर।
नदीया नगरे दण्ड-कमण्डलु-धर।।
(3)
केह बोले पूरबे रावण वधिला।
गोलोकेर वैभव लीला प्रकाश करिला।।
(4)
श्री-राधार भावे एबे गोरा अवतार।
हरे कृष्ण नाम गौर करिला प्रचार।।
(5)
वासुदेव घोष बोले करि जोड हाथ।
जेइ गौर सेइ कृष्ण सेइ जगन्नाथ।।
जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन हिंदी में – अर्थ के साथ
(1) जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन। त्रिभूवने करे जार चरण वन्दन।।
जगन्नाथ मिश्र एवम शची देवी के प्रिय पुत्र की जय हो,जय हो। समस्त तीनो लोक उनके चरण कमल में वंदन करते हैं।
(2) निलाचले शंख-चक्र-गदा-पद्म-धर। नदीया नगरे दण्ड-कमण्डलु-धर।।
नीलाचल में वे शंख, चक्र, गदा और कमल पुष्प धारण करते हैं, जबकि नदिया नगर में वे एक संन्यासी का डंडा और कमंडलु धारण किए रहते हैं।
(3) केह बोले पूरबे रावण वधिला। गोलोकेर वैभव लीला प्रकाश करिला।।
ऐसा कहा गया हैं कि प्राचीन समय में भगवान रामचंद्र के रूप में, उन्होंने रावण का वध किया था।तब उसके पश्चात् भगवान कृष्ण के रूप में ,उन्होंने वैभव ऐश्वर्य पूर्ण गोलोक की लीलाएं प्रदर्शित की।
(4) श्री-राधार भावे एबे गोरा अवतार। हरे कृष्ण नाम गौर करिला प्रचार।।
अब वे पुन: भगवान गौरांग के रूप में आए हैं, गौर वर्ण अवतार श्री राधिका के प्रेम व परम आनंदित भाव से युक्त और पवित्र भगवन्नामो तथा हरे कृष्ण महामंत्र के कीर्तन का चारो ओर प्रसार किया हैं।
(5) वासुदेव घोष बोले करि जोड हाथ। जेइ गौर सेइ कृष्ण सेइ जगन्नाथ।।
वासुदेव घोष दोनो हाथ जोड़ कर कहते हैं ” वे जो गौर हैं, वही कृष्ण हैं, और वही भगवान जगन्नाथ हैं।”
बहुत ही सुन्दर भावार्थ हे।🙏 हरे कृष्ण 🚩🚩
बहुत सुंदर भजन और भावार्थ
हरे कृष्ण
Hari bol