यशोमति नंदन नामक यह भजन को ‘श्री नाम कीर्तन’ भी कहते हैं । यह वैष्णव भजन भक्तिविनोद ठाकुर जी द्वारा रचित ग्रंथ गीतावाली से लिया गया हैं इसके रचिता श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी हैं।।
यशोमति नन्दन ब्रजबर नागर – अर्थ के साथ
(1) यशोमति नन्दन ब्रजबर नागर,गोकुल रंजन कान । गोपी पराण धन, मदन मनोहर,कालिया दमन विधान ।।
श्री कृष्ण माता यशोदा के लाडले पुत्र, ब्रजभूमि के दिव्य प्रेमी,गोकुल के हर्ष ,कान ( कान्हा ,कृष्ण का उपनाम ), गोपियों के जीवन धन हैं।वे कामदेव तक के मन को चुरा लेते हैं और कालिया नाग को दण्ड देते हैं।।
(2) अमल हरि नाम अमिय विलासा। विपिन पुरंदर ,नवीन नगर बर,वंशी बदन सुबासा ।।
भगवान हरि के ये शुद्ध नाम मधुर,अमृतमय लीलाओं से ओतप्रोत हैं। कृष्ण ब्रज के बारह वनों के स्वामी हैं।वे नितयौवन पूर्ण हैं। और सर्वश्रेष्ठ प्रेमी हैं।वे सदैव वंशी बजाते रहते हैं और सर्वश्रेष्ठ वेषधारी हैं।
(3) ब्रज जन पालन,असुर कुल नाशन,नन्द गोधन रखवाला। गोविन्द माधव ,नवनीत तस्कर, सुन्दर नन्द गोपाला ।।
कृष्ण ब्रजवासियों के रक्षक , विभिन्न असुरकुली के संहारक ,नंद महाराज की गौवो के रखवाले तथा चरवाहे , गौवों ,भूमि तथा आध्यात्मिक इंद्रियों को आनंद देने वाले ,देवी लक्ष्मी के पति , माखन चोर तथा नंद महाराज के सुंदर ग्वालबाल हैं।
(4) जामुन तट चर ,गोपी बसन हर ,रास रसिक, कृपामय । श्री राधावल्लभ, वृंदावन नटबर ,भक्ति विनोद आश्रय।।
कृष्ण यमुना तट पर विचरण करते हैं।वे स्नान कर रही ब्रज युवतियों के चीर चुराते हैं।वे रास नृत्य के रस में हर्षित होते हैं। वे अत्यंत दयालु हैं,वे श्रीमती राधारानी के प्रेमी तथा प्रिय हैं। वे वृंदावन के महान नर्तक तथा ठाकुर भक्तिविनोद के एकमात्र शरण हैं।
(हरे कृष्ण महामंत्र) हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।