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जय राधे जय कृष्ण जय वृंदावन – Jaya Radhe Jaya Krishna

“जय राधे ,जय कृष्ण, जय वृन्दावन”  नामक यह वैष्णव  भजन कृष्णदास कविराज गोस्वामी द्वारा रचित हैं । तथा वैष्णव भक्तों के बीच यह भजन अत्यंत लोकप्रिय हैं। जय राधे जय कृष्ण जय वृंदावन (1) जय राधे, जय कृष्ण, जय वृंदावन ।श्री गोविंदा, गोपीनाथ, मदन-मोहन ॥ (2) श्याम-कुंड, राधा-कुंड, गिरि-गोवर्धन ।कालिंदी जमुना जय, जय महावन ॥ […]

श्रीमद्भागवतम मंगला चरण – Shrimad Bhagwatam Mangla Charan

श्रीमदभागवतम कथा आरंभ करने से पूर्व इन श्लोकों का पाठ करना अनिवार्य हैं तथा इन श्लोकों को मंगला चरण के रूप में गाया जाता हैं। (SB 1.2.4) नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम्। देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत्॥ (1) विजय के साधनस्वरूप इस श्रीमद्भागवत का पाठ करने (सुनने) के पूर्व मनुष्य को चाहिए कि वह श्रीभगवान् […]

श्री श्री चैतन्य शिक्षाष्टकम् – Chaitanya Mahaprabhu Shiksha-Ashtakam

भगवान चैतन्य महाप्रभु ने केवल आठ श्लोक ही अपनी सम्पूर्ण शिक्षा के रुप में प्रदान किये जिन्हे “शिक्षाष्टक” कहते हैं । श्री चैतन्य महाप्रभु स्वयं  भगवान श्री कृष्ण  हैं जो आज से पांच सौ साल पहले एक भक्त के रूप के प्रकट हुए और भगवान के नाम का प्रचार किया। श्री श्री चैतन्य शिक्षाष्टकम् (1) […]

गौरांङ्ग बलिते हबे पुलक-शरीर – Gauranga Bolite

यह वैष्णव भजन श्रील नरोत्तम दास ठाकुर जी द्वारा रचित हैं । इस भजन में नरोत्तम दास ठाकुर जी  नित्यानंद  प्रभु से भगवान श्री कृष्ण की अहैतु की भक्ति की प्रार्थना करते हैं। गौरांङ्ग बलिते (1) ‘गौरांङ्ग’ बलिते ह’बे पुलक-शरीर।‘हरि हरि’बलिते नयने ब’बे नीर॥ (2) आर क’बे निताईचाँदेर करुणा हइबे।संसार-वासना मोर कबे तुच्छ हबे॥ (3) […]

दामोदर अष्टकम – Damodar Ashtakam

दामोदर अष्टकम सत्यव्रता मुनि द्वारा कहा गया है तथा इसे श्रील व्यासदेव जी ने लिखा हैं ।भगवान श्री कृष्ण का प्रिय माह  कार्तिक में वैष्णव प्रति दिन संध्या के समय दामोदर अष्टकम का गान करते हैं तथा दीप दान भी करते हैं । शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास में  दामोदर […]

मधुराष्टकम – Madhurashtakam – अधरं मधुरं वदनं मधुरं

मधुराष्टकम में  भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप का मधुरता से वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण के प्रत्येक अंग, गतिविधियां एवं क्रिया-कलाप मधुर है। वल्लभसम्प्रदाय वैष्णव सम्प्रदाय के भगवान के परम भक्त श्रीवल्लभाचार्य जी ने इसकी रचना की हैं। मधुराष्टकम (1) अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।हृदयं मधुरं गमनं मधुरं  मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ (2) वचनं मधुरं चरितं […]

श्रीगुरुचरण पद्म – Sri Guru Charana Padma

श्री गुरु वंदना (Guru Vandana) प्रेम-भक्ति-चंद्रिका से श्रील नरोत्तम दास ठाकुर द्वारा रचित एक प्रार्थना है। गुरु वंदना प्रतिदिन गुरु पूजा के दौरान गाई जाती हैं । श्रीगुरुचरण पद्म – गुरु वंदना (1) श्रीगुरुचरण पद्म, केवल भकति-सद्म, वन्दो मुइ सावधान मते।याँहार प्रसादे भाई, ए भव तरिया याइ, कृष्ण प्राप्ति हय याँहा हइते॥ (2) गुरुमुख पद्म […]

जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन – Jai Jai Jagannath Sachidananda

” जय जय जगन्नाथ शचीर नंदन ” नामक ये वैष्णव भजन वासुदेव घोष द्वारा लिखा गया हैं तथा उनका यह भजन वैष्णवो के बीच बहुत प्रसिद्ध एवम लोकप्रिय हैं। वे इस भजन के अंदर श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाओं एवम रूप का वर्णन कर रहे हैं । वासुदेव घोष श्री श्री निताई-गौरांग ( नित्यानंद प्रभु […]

यशोमति नन्दन ब्रजबर नागर – Yashomati Nandan

यशोमति नंदन नामक यह भजन को  ‘श्री नाम कीर्तन’ भी कहते हैं । यह  वैष्णव भजन भक्तिविनोद ठाकुर जी द्वारा रचित ग्रंथ गीतावाली से लिया गया हैं इसके रचिता श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी हैं।। यशोमति नन्दन ब्रजबर नागर – अर्थ के साथ (1) यशोमति नन्दन ब्रजबर नागर,गोकुल रंजन कान । गोपी पराण धन, मदन […]

विभावरी शेष आलोक प्रवेश – Vibhavari Shesha

विभावरी शेष नामक यह भजन वृन्दावन में प्रतिदिन गुरु अष्टकम के बाद गाया जाता हैं। इस भजन की रचना ब्रम्हमध्व गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के महान आचार्य श्रील भक्तिविनोद ठाकुर जी ने की हैं । इस भजन में भक्तिविनोद ठाकुर जी भगवान श्री कृष्ण के अनेक नामों का वर्णन बहुत ही मधुरता से करते हैं। विभावरी-शेष […]

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